प्रियतम बिचारा, गड्ढों का मारा


टीवी पर प्रियतम और  प्रेयसी को
बरसात में गीत गाते 
रोमांस और डांस करते देख 
उसका दिल भी ललचाया
उसने  खिड़की से बाहर देखा
बरसात को देखकर 
अपनी प्रेयसी से मिलने का विचार 
उसके मन में आया 
वह तत्काल बाहर निकला
और अपनी मोटर साइकिल 
 बैठकर शहर के दूसरे छोर पर 
स्थित उसके घर की ओर चला 
रास्ते में उसे  ऐक गड्ढे ने गिराया 
मोटर साइकिल ऐक तरफ वह दूसरी तरफ
लोगों ने आकर उसे उठाया 
फिर भी चला वह बहादुर प्रियतम 
पहुँचा अपनी  प्रेयसी के घर 
उसने देखते ही मूँह बनाया
और बोली
‘जाओ घर अपने वापस 
नहा धोकर आओ यहाँ 
मेरी सहेलियां देखेंगी 
तो  हँसेंगी’
इतने  में उसके सामने रहने वाली 
सहेली घर से बाहर   निकली 
वह प्रियतम  को जानती थी
पर उसकी हालत देखकर भूल गयी 
उसने पूछा ‘कौन है यह’
प्रेयसी बोली’कोई आवारा है जो
पीछा करता हुआ यहाँ आया ‘
अपनी प्रेयसी के सम्मान  की खातिर 
वह मूँह छिपाकर वहाँ से भागा
और घर आकर नहाया 
तैयार होकर निकला घर से तो 
दूसरे  गड्ढे ने  गिराया
वह फिर घर लौटा और 
तैयार होकर निकला 
इस घटनाक्रम ने उसका 
पूरा समय गन्वाया
आखिरवह वीर पहुँचा
अपनी प्रेयसी के घर तो 
वहां ताला लटका पाया 
सामने से  निकलकर आयी  वही सहेली 
और बोली
‘तुमने  बहुत देर कर दी 
तुम्हारा इंतजार उसने बहुत किया 
पर तुम नहीं आये 
थककर  उसने ढूंढ लिया  
 दूसरा कोई साथी 
तुम्हारे लिये मेरे हाथ में 
अलविदा का संदेश थमाया 
 
प्रेमी चीत्कार कर उठा और कहने लगा 
‘ऊपर  के बादलों पर सभी  कवि लिखते हैं 
नीचे सड़कों के गड्ढे किसी को
कभी नहीं दिखते हैं जिन्होने
मेरे प्रेम को विरह के नरक में पहुँचाया’
बिचारा गड्ढों का मारा घर लौट कर  आया  
 
    

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